Sunday, August 30, 2015

!! क्षितिज !!


!! क्षितिज !!
पंख फुटताच  निर्भय व्हावे ,
      वादळात विचलित नाही व्हावे !!
        आठवणी स्मरण संगती न्हावे ,
            झेप घेता क्षितिज दूर पाळावे !!!
                         @ राज पिसे 

1 comment:

  1. काश की तुम बेपरवाह वक़्त की तरह होते......
    रुकते नहीं , लम्हों की तरह गुज़र जाते।

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