Thursday, October 8, 2015

!! भावनांशी संवाद !!




!! भावनांशी संवाद  !! 
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हृदयाच्या भाषेला 
अक्षर ओळखीची 
गरज भासत नसते !!
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ती थेट अंतर्मांतील 
भावनांशी संवाद 
साधत असते !!! 
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@ राज पिसे 

1 comment:

  1. किसी नजर को तेरा इंतज़ार आज भी है
    कहा हो तुम के ये दिल बेकरार आज भी है

    वो वादियाँ, वो फज़ायें के हम मिले थे जहां
    मेरी वफ़ा का वही पर मज़ार आज भी है

    न जाने देख के क्यों उनको ये हुआ एहसास
    के मेरे दिल पे उन्हें इख्तियार आज भी है

    वो प्यार जिस के लिए हमने छोड़ दी दुनियाँ
    वफ़ा की राह में घायल वो प्यार आज भी है

    यकीन नहीं है मगर आज भी ये लगता है
    मेरी तलाश में शायद बहार आज भी है

    न पूछ कितने मोहब्बत के ज़ख़्म खाये हैं
    के जिनको सोच के दिल सोगवार आज भी है

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