Tuesday, October 13, 2015

!! अश्रुचा महापूर !!




!! अश्रुचा महापूर !!
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ताहान भूक झोप हरवून जागतात ,   
विरहाचे आपले दुख विसरण्यासाठी ,  
ह्रदयाची आग मात्र हे अश्रू विझवतात !! 

प्रेम करणाऱ्यांना दुखाची सवय होते ,
भेटीच्या वेळी आपल सुख हिरावणार ,
या संशयान दोघे मनात दुख बाळगतात !!

विरहाच्या अग्नीन सारा देह जळून जातो , 
पण जिवलग व्यक्ती सुखरूप, सुरक्षित राहो , 
या विचारांनी डोळ्यात अश्रुचा महापूर वाहतात !!! 


@ राज पिसे 

2 comments:

  1. उफ़ ये वक्त बेवक्त, बेसबब बेरुखी तेरी,
    उस पर तुझे बेइन्तहा चाहना बेबसी मेरी...!

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  2. तू इस तरह से मेरी जिंदगी में शामिल है
    जहाँ भी जाऊ ये लगता है तेरी महफ़िल है

    ये आसमान, ये बादल, ये रास्ते, ये हवा
    हर एक चीज़ है अपनी जगह ठिकाने से
    कई दिनों से शिकायत नहीं जमाने से
    ये जिंदगी है सफ़र, तू सफ़र की मंज़िल है

    हर एक फूल किसी याद सा महकता है
    तेरे ख़याल से जागी हुई फिजायें है
    ये सब्ज़ पेड़ है, या प्यार की दूवायें है
    तू पास हो के नहीं फिर भी तू मुक़ाबिल है

    हर एक शय है मोहब्बत के नूर से रोशन
    ये रोशनी जो ना हो, जिंदगी अधूरी है
    राह-ए-वफ़ा में, कोई हमसफ़र ज़रूरी है
    ये रास्ता कही तनहा कटे तो मुश्किल है

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