Wednesday, October 14, 2015

!! शब्दाचा स्पर्श !!



!! शब्दाचा स्पर्श !!
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काय बोलू नकळे ,
समजून घे सगळे !!
शब्दाचा स्पर्श कळे , 
मन भावनाशी खेळे !!!

हृदयाला सारे कळले ,
शब्दाविना ओठातले !!
शब्दाच्या पलीकडले , 
रहस्य मला उलगडले !!! 

@ राज पिसे 

1 comment:

  1. क्यों जिन्दगी की राह में मजबूर हो गए
    इतने हुए करीब के हम दूर हो गए

    ऐसा नहीं के हम को कोई भी खुशी नहीं
    लेकिन ये जिन्दगी तो कोई जिन्दगी नहीं
    क्यों इसके फैसले हमे मंजूर हो गए

    पाया तुम्हे तो हम को लगा तुम को खो दिया
    हम दिल पे रोये और ये दिल हम पे रो दिया
    पलकों से ख्वाब क्यों गिरे क्यों चूर हो गए

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