आठवणी तुझ्या मनात, अश्रू माझ्याच डोळ्यात !!.. दोघेही मनसोक्त वाहतो, आठवणीच्या महापुरात !!! ...
क्यों जिन्दगी की राह में मजबूर हो गएइतने हुए करीब के हम दूर हो गएऐसा नहीं के हम को कोई भी खुशी नहींलेकिन ये जिन्दगी तो कोई जिन्दगी नहींक्यों इसके फैसले हमे मंजूर हो गएपाया तुम्हे तो हम को लगा तुम को खो दियाहम दिल पे रोये और ये दिल हम पे रो दियापलकों से ख्वाब क्यों गिरे क्यों चूर हो गए
क्यों जिन्दगी की राह में मजबूर हो गए
ReplyDeleteइतने हुए करीब के हम दूर हो गए
ऐसा नहीं के हम को कोई भी खुशी नहीं
लेकिन ये जिन्दगी तो कोई जिन्दगी नहीं
क्यों इसके फैसले हमे मंजूर हो गए
पाया तुम्हे तो हम को लगा तुम को खो दिया
हम दिल पे रोये और ये दिल हम पे रो दिया
पलकों से ख्वाब क्यों गिरे क्यों चूर हो गए